आईएएस मनीष कुमार की जीवनी: यूपीएससी पास कर कलेक्टर बनना कठिन काम है लेकिन कलेक्टर बनने के बाद जो जिम्मेदारियां आती हैं उन्हें निभाना उससे भी बड़ा काम है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे आईएएस अधिकारी की जो अपने फैसलों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं और वे फैसले वही होते हैं जो वह जनता की भलाई के लिए लेते हैं। हम बात कर रहे हैं आईएएस ऑफिसर मनीष कुमार वर्मा की।
आईएएस मनीष कुमार वर्मा वर्तमान में जौनपुर के डीएम हैं। आईएएस मनीष कुमार 2017 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया रैंक 61 हासिल की। जब उन्होंने यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की, तब वे ड्यूश बैंक नामक एक निवेश बैंकिंग फर्म में काम कर रहे थे। उन्होंने देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर’ से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। उन्होंने अपनी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी तब शुरू की जब वे एक कामकाजी पेशेवर थे। मनीष बचपन से ही एक अच्छे छात्र रहे हैं और यह उनकी यूपीएससी की तैयारी में साफ झलकता है।
डीएम मनीष कुमार वर्मा द्वारा उर्वरक एवं रसद (आपूर्ति/विपणन) विभाग एवं खाद्य औषधि प्रशासन विभाग की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया I बैठक में डीएम ने निर्देश दिया कि जो लोग पात्र नहीं हैं उनके नाम राशन कार्ड से काट दिए जाएं और जो पात्र हैं और जिनके नाम सूची में नहीं हैं उनके नाम जोड़े जाएं I
उन्होंने जिला आपूर्ति पदाधिकारी को भी निर्देश दिये कि जिन आपूर्ति निरीक्षकों को शिकायत है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये I डीएम ने सभी उप जिलाधिकारियों को खाद्य सामग्री वितरण के दौरान दुकानों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया I जिला पूर्ति अधिकारी को शत-प्रतिशत आधार सीडिंग पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है। इससे पहले आईएएस मनीष कुमार वर्मा जनता की समस्याओं को सुनने पहुंचे। उस दौरान उनके सामने एक मामला आया कि स्थानीय लेखपाल ने दो भाइयों को अलग-अलग जाति प्रमाण पत्र जारी किए थे। इस पर डीएम ने लेखपाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।